रैबार

Thursday 21 May 2015

तेरि आँख्यून मैं तैं गैल्या प्रीत सिखै ।

















तेरि  आँख्यून मैं तैं गैल्या प्रीत सिखै ।
प्रीत सिखै तिन गैल्या बिसरी न जै ॥

म्यरा मन नि पत्ता थो प्रीत क्या छै,
पर तेरि मिठ्ठी  छुयूँन  मैं तैं  अळझै,
अब मन ख्याल आई जब तु नेडू नि रै ॥

बेखबर ये मन तें तु लूटि ल्ही गे ,
आँख्यूं आँख्यून तिन माया बिंगै,
अब समझु  माया आई मन दियालि त्वै ॥

हरा भरा म्यरा मन तिन आग लगै
आग लगै तैंन गैल्या फेर नि बुझै,
जगदु मन फेर भि त्यारी जाग कन्नु रै ॥

बाळु  पराण तू क्वांसु करिक गै,
यों आँख्यूं मा सिरप आस छोड़ी  गै ,
आस का सारा लग्युं तु बौड़ि  ऐ जै ॥

मन धीरज बाँधि सुपिन्यों  मा ऐ जै,
प्रीत लगै ही यालि त पूरी निभै,
सारा त्यरा छ भारी सारू तोड़ी  न द्यै  ॥

              प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित